वाराणसी (काशी) की बेटी शालिनी मिश्रा ने रामचरितमानस आधारित विभिन्न प्रसंगों पर पेन की मदद से राम-नाम लिख 20 से अधिक कलर पोट्रेट्स बनाए जिनमें राम दरबार, श्रीराम-लक्ष्मण-श्रीहनुमान, राम बनवास, सीता-हरण आदि प्रमुख हैं।
पोट्रेट्स ‘एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में शामिल, ग्रैंडमास्टर का खिताब भी। अन्य धार्मिक ग्रंथों-प्रसंगों पर भी कलर पोट्रेट्स बनाने की इच्छा जतायी।

मनोज कुमार तिवारी/ रिपोर्ट4इंडिया/ नई दिल्ली।
गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरितमानस के राम भारतीय जनमानस के लिए अनुकरणीय एवं भाव जगत में सबको रिझाते रहे हैं। सबके अपने-अपने राम। मानस में गोस्वामी तुलसीदास राम को ब्रह्म और दशरथ पुत्र दोनों रूप में देखते हैं। हमारे और आपके बीच के राम। तुलसी के हृदय के लाल, अवध के भुआल राम, निषाद, खग-मृग, कपिश, सबरी और कवियों-साहित्यकारों-कलाकारों के राम, जन-जन के तारनहार राम। उससे आगे जो जिस भाव में जैसा देखे व विचारे उसके वैसे ही राम। और… बाबा विश्वनाथ की काशी में मानस के विभिन्न प्रसंगों को उकेरने वाली शालिनी मिश्रा के ‘राम’ तो ‘राम’ में ही समाये हुए हैं।

वाराणसी महानगर के चौक थानान्तर्गत रेशम कटरानिवासी महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय में शोधरत शालिनी मिश्रा ने राम और रामायण के प्रसंगों पर राम नाम अंकित करते हुए करीब दो दर्जन पोट्रेट बनाए हैं। विज्ञान की छात्रा रहीं शालिनी की कलम कब कूची रूप में स्थापित हो गये, इसका उन्हें ध्यान ही नहीं रहा। वैसे, काशी में मानव मात्र क्या, कण-कण धर्म और आध्यात्म के रूप हैं।

शालिनी बतातीं हैं कि, …वैसे तो पेंटिग्स् में उनकी रूचि हमेशा से रही है। कोरे कागज पर कुछ उकेरने, पक्षी-पशुओं सहित कुछ दृश्यों

को अनायास ही संयोजित करने का मनोभाव रहा है। परंतु, व्यवस्थित रूप से राम-नाम लिखकर चित्र बनाने की प्रेरणा कुछ ऐसे ही चित्रों को देखकर मिली। उन्होंने बताया, उनकी मां भी धार्मिक तौर पर कागज पर राम-नाम लिखा करतीं थीं। इसी दौरान ऑनलाइन प्रतियोगिता में भाग लेने को उन्होंने कलर पेन की मदद से रामचरितमानस के विभिन्न प्रसंगों को केंद्रीत कर पोट्रेट बनाना शुरू किया। वे बतातीं हैं, उन्होंने तीन दिन में कुल 28 घंटे व्यतीत कर 90 हजार 753 बार राम नाम लिखकर रंगीन पोट्रेट बनाया जिसे, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज कर लिया गया और उन्हें ग्रैंडमास्टर का खिताब दिया गया।

शालिनी मिश्रा बतातीं हैं, मानस के प्रसंगों पर पोट्रेट्स बनाना प्रेरणात्मक व सुखद रहा और परिवार सहित सभी लोगों ने इसे पसंद किया, प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, उनका प्रयास रहेगा कि रामचरितमानस सहित अन्य धार्मिक ग्रंथों-प्रसंगों पर भी मूर्तरूप प्रकट करूं। उन्होंने बताया, नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में दीपावली के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में आयोजकों की तरफ से केरल के राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खान व अन्य महानुभावों को सम्मान व प्रतीक चिन्ह के रूप में ‘श्रीराम दरबार’ का फ्रेमिंग पोट्रेट भेंट स्वरूप दिया गया। साथ ही, उन्होंने स्वयं वाराणसी व अयोध्या जैसी धार्मिक नगरी के मंदिर-मठों और संत-महात्माओं को विभिन्न धार्मिक प्रसंगों पर आधारित पोट्रेट्स भेंट स्वरूप दिया है। सभी ने उनका मान बढ़ाया और प्रोत्साहित किया।
इस विषय पर वरिष्ठ पत्रकार मार्कण्डेय पाण्डेय बताते हैं कि प्रत्येक रचनाकर की एक अलग दृष्टि होती है। मानस के विभिन्न प्रसंगों पर शालिनी मिश्रा द्वारा बनाए कलर पोट्रेट्स को कला व धर्म-दर्शन क्षेत्र के विद्वानों ने भरपूर सराहना की है और उन्हें प्रोत्साहित भी किया है।