दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं, कैबिनेट की सलाह मानें उपराज्यपाल!
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में चुनी हुई सरकार और उपराज्यपाल की शक्तियों के बीच समन्वय स्थापित करने की कोशिश की है। कोर्ट ने यह माना है कि दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं है लेकिन लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई सरकार के भी अपने अधिकार हैं, जिसे नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता।
मनोज कुमार तिवारी/रिपोर्ट4इंडिया।
नई दिल्ली। दिल्ली में चुनी हुई सरकार और केंद्रशासित प्रदेश स्टेटस के बीच बीच प्रशासनिक नियंत्रण को लेकर शुरू विवाद में फैसला के तौर सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय सुनाना शुरू कर दिया है। हालांकि, जिस तरह से पांच जजों के संविधान पीठ ने इस मसले को सुना, देखा और समझा है, उस बारे में फैसला भी पांचों जज अपनी-अपनी समझ के मुताबिक देंगे। सभी जज अपने-अपने फैसलों को पढ़ेंगे। इसके बाद एक समन्वित फैसला होगा। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने अपना फैसला पढ़ना शुरू किया और कहा है कि सबके बावजूद कैबिनेट जनता के प्रति जवाबदेह है। लोकतांत्रिक मूल्य सर्वोच्च हैं। सरकार जनता को उपलब्ध होनी चाहिए तथा अलग-अलग निहित शक्तियों में समन्वय जरूरी है।
इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाना मुश्किल है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों शक्तियों के समन्वय पर काम करने को कहा है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि उपराज्यपाल अकेले फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं। उन्हें कैबिनेट की सलाह के अनुसार ही काम करना होगा। पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर के अलावा दिल्ली विधानसभा अन्य कोई कानून बना सकती है।