कीमतों को लेकर दूरसंचार विभाग किसी भी तरह के आरोपों-सवालों से बचना चाहती है। वह नहीं चाहती है कि 2-जी की तरह कोई ‘भूत’ सामने पैदा हो
रिपोर्ट4इंडिया /अर्थ डेस्क (एजेंसी इनपुट सहित)।
नई दिल्ली। देश में 5-जी को लांच करने को लेकर तैयारी और चर्चा जोर-शोर से चल रही है। दूरसंचार विभाग साल के अंत तक स्पेक्ट्रम की नीलामी के प्रयास में जुटा हुआ है और इस संबंध में डिजिटल कम्युनिकेशन कमीशन (डीसीसी) की जल्द ही बैठक होनी है। हालांकि, टू-जी घोटाले के भूत का असर भी इस नीलामी पर साफ दिख रहा है। इसलिए दूरसंचार विभाग इस मामले में फूंक-फूंक कर निर्णय ले रहा है। स्पेक्ट्रम की कीमतों को लेकर कोई भी फैसला ट्राई द्वारा तय स्पेक्ट्रम बेस प्राइस सिफारिश के आधार पर ही होगा।
इस मामले में डीसीसी टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) की ओर से स्पेक्ट्रम बैंड के लिए तय की गई बेस प्राइस से जुड़ी सिफारिश पर ही आगे बढ़ने के संकेत दिए हैं। विभाग हर हाल में चाहता है कि स्पेक्ट्रम कीमतों को लेकर किसी भी प्रकार के आरोप या सवाल से बचने को ट्राई की तरफ ही देखा जाए। हालांकि, रेडियोवेव की बेस प्राइस कीमतों को अधिक बताते हुए मोबाइल सेवा प्रदाता उद्योग की ओर से चिंता जताई गई है। फिर भी, विभाग ट्राई के सिफारिशों पर ही सबकुछ तय करने को लेकर तत्पर है।
उल्लेखनीय है कि ट्राई ने बीते जुलाई में स्पेक्ट्रम के मूल्यांकन और बेस प्राइस से जुड़ी अपनी सिफारिशों को बनाए रखने का फैसला किया था। इससे वित्तीय दबाव झेल रही भारती एयरटेल जैसी कंपनियों की उम्मीदों का झटका लगा था क्योंकि वे बेस प्राइस में कमी चाह रहे थे। हालांकि, कीमतों को लेकर ट्राई ने कहा था कि सभी संबंधित पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ही बेस प्राइस निर्धारित की गई है।