हत्यारों की गिरफ्तारी को लेकर गुजरात एटीएस टीम को डीआईजी हिमांशु शुक्ला, सहयोगी अधिकारी एसीपी बीपी रोजिया, एसीपी बीएच चावडा लगातार नज़र रख रहे थे। गुजरात में इस तरह की सुनियोजित साजिश को बेहद गंभीरता से ले रही है गुजरात एटीएस
रिपोर्ट4इंडिया ब्यूरो/ नई दिल्ली।
गुजरात से लखनऊ आकर हिन्दू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की हत्या करने वाले दोनों आरोपितों शेख अशफाक और मोइनुद्दीन पठान को एटीएस गुजरात ने अपनी रणनीति और पूर्व में उठाए गए कदमों से पकड़ने में सहायता प्राप्त की।
एटीएस दोनों आरोपियों के परिवारों को पहले से ही अपने कब्ज़े में रखा था। एटीएस को पता था उन्हें कौन-कौन से लोग सहायता दे सकते थे और एटीएस को यह भी जानकारी थी कि उनके पास जो पैसे हैं उससे वे बहुच ज्यादा भाग नहीं सकते हैं।
मीडिया को गुजरात पुलिस की दी गई जानकारी के गुजरात पुलिस के अनुसार, 18 अक्टूबर को लखनऊ में कमलेश तिवारी की हत्या करने के बाद से दोनों लगातार भाग रहे थे। पुलिस को इसकी जानकारी थी कि वे रस्ते चलते किसी भी आम आदमी का मोबाइल इस्तेमाल कर अपने परिवार वालों से संपर्क साध सकते थे। इसलिए आरोपितों के परिवार पर पुलिस की नज़र प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष दोनों तरीके से थी। पुलिस को जानकारी थी कि दोनों के पैस जितने पैसे हैं उससे वे ज्यादा दिनों तक छुप नहीं सकते। हत्यारों की गिरफ्तारी को लेकर बनी टीम को गुजरात एटीएस के डीआईजी हिमांशु शुक्ला, सहयोगी अधिकारी एसीपी बीपी रोजिया, एसीपी बीएच चावडा व अन्य कई लगातार नज़र बनाए हुए थे।
पैसे खत्म होने के बाद अशफाक ने अपने घरवालों से संपर्क किया। परिवारजनों पर निगरानी होने से पुलिस को आरोपियों की लोकेशन का पता चला और पुलिस ने पीछा कर उन्हें घर-दबोचा।
उल्लेखनीय है कि ग्रीनव्यू अपार्टमेंट, पद्मावती सोसाइटी, लिंबायत सूरत का रहने वाला आरोपी अशफाक हुसैन (34) पेशे से मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव था। इसीलिए अशफाक ने हत्या से पहले घबराहट दूर करने की दवा ली थी। दूसरा हत्यारोपी मुइनुद्दीन खुर्शीद (27) पिछड़ी जाति कालोनी, उमरवाडा सूरत का रहने वाला है और वह फूड डिलीवरी का काम करता था।