कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व वित्तमंत्री व रिजर्व बैंक के गवर्नर पी. चिदम्बरम की नोटबंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार को घेरने, बेनकाब करने, सरकार की नियत पर सवाल खड़े करने के साथ ही अपने नेता राहुल गांधी की नोटबंदी को लेकर लगातार की जा रही राजनीति को सही साबित करने का कुप्रयास असफल हुआ।
report4india/new delhi.
नोटबंदी को लेकर केंद्र सरकार को घेरने की नियत से सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस नेता व पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम का प्रयास असफल हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी की नीति को सही बताया है और इस महत्वपूर्ण फैसले पर अपनी मुहर लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटबंदी से पहले केंद्र और आरबीआई के बीच सलाह-मशविरा हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि नोटबंदी का फैसला लेते समय अपनाई गई प्रक्रिया में कोई कमी नहीं थी। इसलिए, उस अधिसूचना को रद्द करने की कोई जरूरत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस मामले में फैसला सुनाते हुए केंद्र सरकार के नोटबंदी (500 व 1000 के नोटों को बंद) करने के फैसले को बरकरार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की नोटबंदी को चुनौती देने वाली 58 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया। जस्टिस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने कहा कि आर्थिक फैसलों को बदला नहीं जा सकता।
उल्ल्खनीय है कि इस मामले पर संवैधानिक बेंच ने पांच दिन की बहस के बाद सात दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। इस संवैधानिक बेंच में जस्टिस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस ए.एस. बोपन्ना, जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन, और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना शामिल थे।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस नेता व पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम का कोर्ट में यह आरोप था कि नोटबंदी जैसे मामले में सरकार ने आरबीआई के नियम व नीति में दखल दिया था। साथ ही, नोटबंदी का निर्णय जल्दबाजी में और बिना नीतिगत मामलों को पूरा किये लिया गया। यहां तक इस फैसले में आरबीआई को भी ओवरलैप कर दिया गया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी नोटबंदी के मुद्दे को उठाया और सरकार को इस मामले में घेरने की कोशिश की थी।