कांग्रेस ने अयोध्या श्रीराम मंदिर सुनवाई रोकने का भरपूर प्रयास किया

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चर्चा में जस्टिस रंजन गोगोई की पुस्तक 'जस्टिस फॉर द जज'

‘जस्टिस फॉर दी जज’ पुस्तक में पूर्व चीफ मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई का खुलासा

report4india/ New Delhi.

आजादी के बाद कांग्रेस यानी जवाहरलाल नेहरू शासनकाल से लेकर राजीव गांधी के प्रधानमंत्रीत्व काल में अयोध्या में श्रीराम मंदिर के आंदोलन को ठंडे बस्ते में डालने की भरपूर कोशिश की गई। यहीं नहीं, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल के दौरान तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने श्रीराम मंदिर पर सुनवाई शुरू करने की घोषणा की पहले कई प्रकार से इसे रोकने का प्रयास किया गया। जब वे प्रभाव में नहीं आये तो उनपर कांग्रेस द्वारा अनर्गल आरोप लगाकर महाभियोग प्रस्ताव संसद में लाया गया। इससे, जस्टिस मिश्रा बहुत दुखी हुए। उन्होंने घोषणा कर दी कि जबतक इस महाभियोग प्रस्ताव को रद्द नहीं किया जाएगा, तबतक वह सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएंगे। इसके बाद, राज्यसभा के अध्यक्ष उपराष्ट्रीय वेंकैय्या नायडू ने इस प्रस्ताव को रद्द कर दिया। यह सारी बातें, राम मंदिर पर फैसला सुनाने वाले पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपनी पुस्तक ‘जस्टिस फॉर द जज’ में खुलासा किया है।

इस पुस्तक में जस्टिस गोगोई ने लिखा है कि इस मामले की सुनवाई पर उन्होंने जितना प्रेशर झेला, जीवन में कभी नहीं। उन्होंने लिखा है, श्रीराम मंदिर मामले की सुनवाई रोकने की पूरी कोशिश की गई। प्रत्येक स्तर पर रोड़ा उत्पन्न करने का प्रयास किया गया। उन्होंने, जब तय किया कि वे इस मामले में बड़ी पीठ का गठन कर रोजाना स्तर पर सुनवाई करेंगे तो, मुस्लिम पक्ष की तरफ के वकीलों ( वकील व कांग्रेस नेता धवन) ने कोर्ट में कई बार बदतमीजी करने की कोशिश की। इस मसले पर वे अपने साथी जजों को बिल्कुल शांत रहने की नसीहत देते रहे। सभी ने एक मत से माना कि कोर्ट में जो कुछ हो रहा है कि उसका एकमात्र मकसद इस सुनवाई को रोकना है।

रंजन गोगोई लिखते हैं कि वे राम मदिर मामले की सुनवाई के दौरान बमुश्किल रात में दो-तीन घंटे ही सो पाये। उन्होंने लिखा है कि जब हर प्रकार की कोशिश व समस्याओं के समाधान के बाद फैसला सुनाने की बारी आई तो, एक नामी व्यक्ति (जिसका नाम उन्होंने उजागर नहीं किया है) ने सुप्रीम कोर्ट कैबिनेट सेक्रेटरी से मिलकर इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए कोर्ट के सामने हाजिर होने को पास बनाने की मांग की। सेक्रेटरी ने इस मसले पर उनसे बात की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस मामले को रोकने के लिए जानबूझकर यह अंतिम प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा, यदि विरोधी पक्ष को कोई भी बात कहनी है तो वह अपने वकील के माध्यम से बात कहेगा और कार्यवाही में भाग लेने के लिए उसके माध्यम से ही पास बनवायेगा। सेक्रेटरी से पास बनवाने के लिए अप्रोच करने का मतलब साफ है।