” सुप्रीम कोर्ट के बुधवार शाम पांच बजे तक फ्लोर टेस्ट के आदेश के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक परिस्थितियां तेजी से बदली। अजित पवार के लगातार अपनी पार्टी के नेताओं से मिलने और डिप्टी सीएम का कार्यभार नहीं संभालने के बाद ही संकेत मिलने लगे थे कि अजित पवार अकेले पड़ गए हैं। ”
मनोज कुमार तिवारी/ रिपोर्ट4इंडिया।
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में अपनी दूसरी पारी में करीब 80 घंटे बाद ही देवेंद्र फडणनवीस को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। जिस एनसीपी के अजित पवार के साथ मिलकर देवेंद्र ने जल्दबाजी में सरकार बनाई उसी जल्दबाजी में उन्हें इस्तीफा भी देना पड़ा। सरकार बनाने के बाद पिछले तीन दिनों से महाराष्ट्र की राजनीति में तूफान आ गया था। अजित पवार डिप्टी सीएम पद की शपथ ग्रहण के बाद जरूरी विधायकों को अपने पाले में नहीं रख सके और सुप्रीम कोर्ट के फ्लोर टेस्ट आदेश के अजित पवार के इस्तीफा देने के साथ ही इस सरकार का अंत हो गया।
महाराष्ट्र के बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच दिल्ली में बीजेपी की हाई लेवल की बैठक हुई, जिसके बाद देवेंद्र फडणनवीस को इस्तीफा देने का आदेश दिया गया। प्रेस के सामने आकर देवेंद्र फडणनवीस ने इस्तीफा देने की घोषणा कर दी। इस दौरान फडणनवीस ने सरकार बनाने से लेकर इस्तीफा देने की परिस्थितियों को मीडिया के सामने रखा। उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद जनता ने बीजेपी-शिवसेना गठबंधन को सरकार बनाने का आदेश जारी किया था परंतु, शिवसेना ने ढाई-ढाई साल के सीएम का प्रस्ताव रख दिया। इस तरह का प्रस्ताव बीजेपी-शिवसेना के बीच तय नहीं था। ऐसी स्थिति में बीजेपी 105 विधायकों की संख्या बल से सरकार नहीं बना सकती थी, इसीलिए हमने इस्तीफा सौंप दिया।
उन्होंने कहा, राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार बनाने के लिए जिस प्रकार से तोलमोल कर रही थी, वह महाराष्ट्र की जनता के हक में नहीं था। इसी बीच एनसीपी विधायक दल के नेता अजित पवार ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की पेशकश की, जिसे हमने वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों के मद्देनज़र स्वीकार किया। परंतु, आज अजित पवार के इस्तीफा देने के साथ ही इस सरकार का अंत हो गया। क्योंकि हम एनसीपी के भरोसे ही सरकार बनाया था।
उल्लेखनीय है कि बीते शनिवार को देवेंद्र फडणनवीस के अचानक शपथ ग्रहण के बाद भाजपा और अजित पवार के पास बहुमत साबित करने का दबाव था। शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने अपने पास बहुमत होने का दावा के साथ सुप्रीम कोर्ट पहुंची और सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फ्लोर टेस्ट का फैसला सुनाया। फ्लोर टेस्ट से पहले ही देवेंद्र फडणनवीस ने बहुमत नहीं होने की बात कहते हुए इस्तीपा दे दिया।