चुनाव आयोग को आम पहचान देने वाले पूर्व चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का निधन 

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यादें शेष : पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन।

दिसंबर 1990 से दिसबंर 1996 तक भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त रहे। इस दौर में टीएन शेषन ने चुनाव आयोग को नई पहचान दी।

रिपोर्ट4इंडिया नेशनल डेस्क।

नई दिल्ली। देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का 86 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। चेन्नई स्थित अपने आवास पर टीएन शेषन ने आखिरी सांस ली। देश में चुनाव आयोग को साख दिलाने में टीएन शेषन का अहम योगदान को कोई भूला नहीं सकता। न्यूज एजेंसी ANI ने पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी के हवाले से खबर दी है कि कार्डिक अरेस्ट आने की वजह से उनका निधन हुआ।

तमिलनाडु कॉडर के आईएएस अधिकारी टीएन शेषन भारत के 10वें चुनाव आयुक्त थे। उनका कार्यकाल 12 दिसंबर, 1990 से 11 दिसंबर, 1996 तक रहा था। शेषन ने अपने कार्यकाल में स्वच्छ एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए नियमों का कड़ाई से पालन किया गया। उनकी सख्ती के कारण उनका सरकार और कई बड़े नेताओं से विवाद हुआ लेकिन वे अपने काम में अडिग रहे।

वर्ष 1990 में टीएन शेषन के मुख्य चुनाव आयुक्त बनने के पहले तक निर्वाचन आयोग की भूमिका से आम आदमी प्राय: अपरिचित था। परंतु, शेषन ने इसे जनता के दरवाजे पर लाकर खड़ा कर दिया। इससे जनता की उम्मीदें और बढ़ीं. इसे और गतिशील और पारदर्शी बनाने के लिए इसका स्वरूप बदलने की जरूरत महसूस की गई और इसे बदला भी गया।

टीएन शेषन ने चुनाव सुधार की शुरूआत 1995 में बिहार चुनावों से की। चुनाव में धांधली के लिए बिहार बुरी तरह बदनाम था। उन्होंने बिहार में कई चरणों में चुनाव कराए। यहां तक कि चुनाव तैयारियों को लेकर वहां कई बार चुनाव की तारीखों में बदलाव भी किया। उन्होंने बिहार में बूथ कैप्चरिंग रोकने के लिए सेंट्रल पुलिस फोर्स का इस्तेमाल किया। शेषन के इस कदम पर लालू यादव ने उन्हें खुलेआत चुनौतियां दी थीं। उन्होंने चार बार बिहार चुनाव की तारीखों में बदलाव किया था। जरा सी भी गड़बड़ी मिलने पर वह फौरन तारीख बदल देते थे। उस दौरान बिहार में चुनावों में बड़ी संख्या में बूथ कैप्चरिंग, हिंसा और गड़बड़ी होती थी. शेषन ने इसे चुनौती के रूप में लिया. निष्पक्ष चुनाव के लिए पहली बार उन्होंने चरणों में वोटिंग कराने की परंपरा शुरू की। पांच चरणों में बिहार का विधानसभा चुनाव कराया जो मील का पत्थर बना था।

वर्ष 1997 में उन्होंने राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा था. लेकिन केआर नारायणन से हार गए। उसके दो वर्ष बाद कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ चुनाव लड़ा लेकिन उसमें भी उनकी हार हुई। शेषन को 1996 में रेमन मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।