2008 में 29 सितम्बर को कांग्रेस राज में महाराष्ट्र के मालेगाव में हुआ ‘बम विस्फोट’ बीजेपी और आरएसएस नेताओं को फंसाने का एक मौका बन गया। महाराष्ट्र एटीएस पर गवाह ने प्रताड़ित कर बीजेपी नेताओं का जबरन नाम लेने का आरोप लगाया।
report4india/ New Delhi.
2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव कस्बे में हुए बम विस्फोट मामले में एक बार फिर एक गवाह ने महाराष्ट्र एटीएस पर प्रताड़ित कर बीजेपी व आरएसएस के लोगों को नाम लेने का आरोप लगाया है। गवाह ने मुंबई की विशेष एनआईए अदालत को बताया कि मामले की तत्कालीन जांच एजेंसी एटीएस ने उसे प्रताड़ित किया और बम विस्फोट के बाद सात दिनों तक उसे एटीएस कार्यालय में रखा गया। यहां तक कि, एटीएस ने उसके परिवार के सदस्यों को प्रताड़ित करने और उन्हें फंसाने की भी धमकी दी गई।
2008 Malegaon blast case | A witness tells Special NIA court that he was tortured by ATS, the then probe agency of the case. He also told the court that ATS forced him to falsely name Yogi Adityanath and 4 other people from RSS.
— ANI (@ANI)
गवाह ने कोर्ट को बताया कि एटीएस ने उसे योगी आदित्यनाथ, इंद्रेश कुमार, देवधर और काकाजी जैसे आरएसएस के पांच लोगों का नाम लेने के लिए मजबूर किया गया था। इससे पहले लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित के खिलाफ बयान देने वाला गवाह ने भी आरोप लगाया था कि उसे डराकर नाम लेने के लिए कहा गया।
इस केस में कांग्रेस सरकार और एटीएस ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर को जेल में रखा, उसे प्रताड़ित किया गया। रमेश उपाध्याय, अजय रहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी सभी को शामिल किया गया। यह सभी हिन्दू विचारधारा के मानने वाले लोग थे।