अखिलेश यादव 2024 के लिए ‘नया गुट और नये नेता’ की तलाश में

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अखिलेश-शिवपाल-राजभर (डिजाइन)

“…पार्टी में जो कुछ भी बचा है, नेता उसी में अपनी बेहतरी के उम्मीद में हैं। इन सबके बीच आज सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव और ओमप्रकाश राजभर को संदेश दे दिया है कि वे सपा के साथ संयुक्त नहीं हैं। …यानी, वे मुक्त हैं और अपना राजनीतिक भविष्य तय कर सकते हैं।” 

मनोज कुमार तिवारी/ रिपोर्ट4इंडिया।

जैसे-जैसे 2024 लोकसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैंं वैसे-वैसे विपक्षी राजनीतिक पार्टियों की तिलमिलाहट और एक रास्ता चुनने को लेकर तनाव साफ नज़र आ रहा है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मात खाने के बाद विपक्ष का डर बढ़ गया है। हालांकि, चुनाव में हार के बाद समाजवादी पार्टी खासकर अखिलेश यादव के दौर में सहयोगी पार्टियों से अगल होने का पूरा इतिहास रहा है। 2017 में विस चुनाव के बाद अखिलेश यादव व राहुल गांधी एक साथ आये थे। परंतु, हार के तुरंत बाद अकिलेश ने कांग्रेस से अलग होने की घोषमा कर दी। 2019 में लोकसभा चुनाव में गाजे-बाजे के साथ सपा व बसपा एक साथ आयी थी। जैसे ही चुनाव के रिजल्ट पक्ष में नहीं आये बसपा-सपा के रास्ते जुदा हो गये।

अब 2022 में विस चुनाव हारने के बाद लगातार सपा नेता कशमकश में दिखायी देते हैं। पहले राज्यसभा चुनाव और उसके बाद लोकसभा उपचुनाव में कई उतार-चढ़ाव देखे गये। सत्ता में वापसी की उम्मीद पर पानी फिर जाने के बाद सपा के भीतर भी उहापोह की स्थिति थी। आजम खान और अन्य मुसलिम नेता भी सपा की अंदरूनी राजनीति से खुश नहीं हैं। अखिलेश परिवार में भी बड़े पैमाने पर सदस्य जो सत्ता में साझीदार थे, विभिन्न पदों पर विराजमान थे, वे लंबे समय से पावर से दूर है। पार्टी में जो कुछ भी बचा है, उसी में अपनी बेहतरी की उम्मीद लगाये बैठे हैं। इन सबके बीच आज सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव और ओमप्रकाश राजभर दोनों को संदेश दे दिया है कि वे सपा के साथ संयुक्त नहीं हैं। यानी, वे मुक्त हैं और अपना राजनीतिक भविष्य तय कर सकते हैं।

इस संदेश का साफ मतलब है कि अखिलेश यादव अपनी वर्तमान राजनीतिक गठबंधन व नेता पर हिचक है और वे नहीं चाहते कि उनकी पार्टी के साथ जुड़े नेता व सहयोगी उन्हें कोई सीख दें। साथ ही, यह लोकसभा चुनाव 2024 के लिए नये गठबंधन के साथ प्रयोग की तरफ भी इशारा है।