महाराष्ट्र में ‘सरकार’ यानी ‘राजनीतिक प्रतिबद्धता’ से गिर जाने का ‘दाग’ 

0
1382

‘दिल्ली दरबार’ में आज महाराष्ट्र के राजनीतिक भविष्य पर ‘सुनवाई’ 

Manoj Kumar Tiwary/ Report4India / New Delhi.

महाराष्ट्र में विस चुनाव के नतीजे आने के 11 दिन बाद भी सरकार का गठन भंवर में है। चुनाव पूर्व बीजेपी-शिवसेना गठबंधन बहुमत प्राप्त कर चुका है फिर भी मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों के बीच तलवारें खींच गईं हैं। शिवसेना नेताओं का जहां अपनी आदत के मुताबिक आग में घी डालने का काम जारी है वहीं, बीजेपी का रूख स्पष्ट है कि जनादेश के सम्मान के मुताबिक मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ही बांच साल के लिए मुख्यमंत्री होंगे। मुख्यमंत्री पद का बंटवारा कर महाराष्ट्र की जनता को अधर में नहीं डाल सकते।

बहरहाल, राज्य के इस राजनीतिक हालात के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सोमवार को बीजेपी अध्यक्ष व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से दिल्ली में मिल रहे हैं। जबकि, शिवसेना के सरकार बनाने के दावे के बीच राकांपा प्रमुख शरद पवार भी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिल चर्चा करेंगे। चर्चा व मंथन के बाद क्या निकलेगा, यह जानकारी जब तीनों दलों की तरफ से दी जाएगी तभी कुछ रास्ता दिखेगा। वैसे, चर्चा है कि शरद पवार और सोनिया गांधी शिवसेना के साथ मिलकर अपनी सरकार बनाने को लेकर विचार करेंगे।

उधर, शिवसेना शाम को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात करने की भी योजना है। हालांकि, बताया जाता है कि यह मुलाकात राज्यपाल से सबसे बड़ी पार्टी यानी भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किए जाने की अपील को लेकर है। ,साफतौर पर शिवसेना कांग्रेस-राकांपा के साथ मिलकर सरकार बनाने से पहले बीजेपी को अपना रास्ता बताने का एक मौका देना है ताकि भविष्य में शिवसेना की राजनीति को नष्ट होने से बचाने का एक आधार मिल सके। शिवसेना को पता है कि जबतक बीजेपी के साथ तीनों दलों में से कोई एक दल मिलेंगे नहीं बहुमत बनेगी नहीं।

जो परिस्थितियां दिख रहीं हैं उसमें बीजेपी शिवसेना के नेता संजय राउत के बयान को किसी भी तरह से टोलरेट नहीं करने के मुड में है। बीजेपी का प्रयास है, या तो निर्दलीय और कुछ पार्टियों के विधायकों के अघोषित समर्थन से सरकार बनाए। इस हालात में बीजेपी शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने के पक्ष में नहीं है और यह भी कि बीजेपी पहले ही  बिना बहुमत के आंकड़े जोड़े सरकार बनाने की पहल नहीं करेगी। बीजेपी यह भी चाहेगी कि शिवसेना कांग्रेस व राकांपा को लेकर सरकार बना ले। उधर, शिवसेना भी चाहती है कि सरकार बनाने की पहले पहल बीजेपी करे ताकि बहुमत सिद्ध नहीं करने की स्थिति में वह विपक्षी राकांपा और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाकर अपनी वैचारिक पहचान को महाराष्ट्र के हित के नाम पर बरकरार रखने का एक आधार प्राप्त कर सके।

शिवसेना नेता संजय राउत बीजेपी पर हमला करने में सबसे अधिक मुखर हैं। उन्होंने कहा था, उनके पास 170 विधायकों का समर्थन है और मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा। राउत ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि विधायकों के समर्थन प्राप्त करने के लिए सरकारी एजेंसियों और अपराधियों का इस्तेमाल कर रही है।

हालांकि, राजनीति के जानकार मानते हैं कि शिवसेना का राकांपा और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने में कई दिक्कतें हैं। इस मामले में शिवसेना से अधिक कांग्रेस और राकांपा के राजनीतिक कद का नुकसान हो सकता है। ऐसी स्थिति बीजेपी के भविष्य के लिए बिना सरकार बनाए ही रामबाण सिद्ध होगा। 9 नवम्बर तक सरकार नहीं बनने की स्थिति में राष्ट्रपति शासन का विकल्प तो है ही।