शिवसेना समझ रही है सक्रिय राजनीति और प्रशासन में गठबंधन के फर्क को, ‘दरबार’ और सचिवालय के आदेश के अंतर को। इसीलिए ‘सामना’ में टक्कर मारने वाले अब मोदी-ठाकरे भाई-भाई बता रहे।
मनोज कुमार तिवारी/ नई दिल्ली।
पांच दशक से महाराष्ट्र की राजनीति में सक्रिय ठाकरे परिवार पहली बार सरकार संचालन की जिम्मेदारी उठा रहा है। विगत 50 सालों में भारतीय राजनीति और समाज ही नहीं बल्कि दुनिया में हर जगह बड़ा बदलाव हुआ है। कहा जा रहा है कि राजनीति में यह पल शिवसैनिक के लिए खुशी मनाने का है। उद्धव ठाकरे और उनके पार्टी के नेता चनाव परिणाम के बाद ही तोल ठोंकने लगे और ऐलान कर दिया कि सीएम शिव सैनिक ही होगा। संजय राउत जहां मीडिया के सामने और ट्वीटर पर तो पार्टी का मुखपत्र सामना में बीजेपी की ऐसी-तैसी करने लगे। पीएम मोदी से लेकर अमित शाह तक पर वार करने से शिवसेना के नेता चुके नहीं। आखिरकार, एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे सीएम बन गए। इसके साथ ही, शिवसेना का भाजपा को लेकर रुख में बदलाव नज़र आने लगा है।
रोजाना बीजेपी पर तलवार चलाने वाला शिवसेना का मुखपत्र ‘सामना में बदलाव दिखा। संपादकीय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उद्धव का बड़ा भाई बताया गया। यह भी कहा कि संघर्ष और लड़ाई तो जीवन का हिस्सा है।
‘छोटे भाई का साथ देने की जिम्मेदारी मोदी की’
सामना में लिखा है कि ‘‘महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा-शिवसेना में अनबन है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्धव ठाकरे का रिश्ता भाई-भाई का है। इसलिए महाराष्ट्र के छोटे भाई को प्रधानमंत्री के रूप में साथ देने की जिम्मेदारी मोदी की है। प्रधानमंत्री पार्टी का नहीं बल्कि पूरे देश का होता है। इसे स्वीकार करें तो जो हमारे विचारों के नहीं हैं, उनके लिए सरकार अपने मन में राग-लोभ क्यों रखे? संघर्ष और लड़ाई हमारे जीवन का हिस्सा है।’’
कुछ दिन पहले ही सामना में लिखा था कि ‘दिल्ली देश की राजधानी है, लेकिन महाराष्ट्र दिल्लीश्वरों का गुलाम नहीं। लेकिन इस तेवर की जगह मनुहार नज़र आता है। ‘छत्रपति शिवाजी ने महाराष्ट्र को जो कुछ दिया, उसमें स्वाभिमान महत्वपूर्ण है। महाराष्ट्र दिल्ली को सबसे ज्यादा पैसा देता है। देश की अर्थव्यवस्था मुंबई के भरोसे चल रही है। देश को सबसे ज्यादा रोजगार मुंबई जैसा शहर देता है।