‘कोलकाता’ की बाज़ी हारती बीजेपी, TMC कार्यकर्ताओँ का बवाल शुरू

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कोलकाता में बीजेपी दफ्तर के बाहर टीएमसी कार्यकर्ताओं का बवाल।

” पश्चिम बंगाल में 200 के पार के अपने नारे से बीजेपी काफी दूर गिरती दिख रही। बंगाल में दंगा पार्टी के नाम से ‘कुख्यात’ टीएमसी के मुसलिम गुंडे माहे रमज़ान में टोपी पहनकर कोलकाता में बीजेपी के दफ्तर पहुंच बवाल काटा और नारेबाज़ी की। मतगणना और परिणाम के दौरान चुनाव आयोग के आदेशों की जमकर धज्जियां उड़ाईं गईं” 

report4india/ New Delhi. 

चिर-प्रतिक्षित पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के रूझानों में बीजेपी बुरी तरह हारती दिख रही है। विस चुनाव में 200 के पार के नारे के साथ मैदान में दमखम से उतरी बीजेपी सौ से भी नीचे पहुंच गई है। बीजेपी के लिए बंगाल चुनाव में यह बहुत बड़ी हार है।

चुनाव के दौरान बीजेपी बंगाल के नागरिकों को यह विश्वास नहीं दिला सकी कि वह टीएमसी के गुंड़ों से उनकी रक्षा कर सकेगी। और उनके सामने प्रत्यक्ष उदाहरण भी था कि जो पार्टी केंद्र में भारी बहुमत के बाद भी बंगाल में अपने 150 के करीब कार्यकर्ताओं की क्रूर हत्या का नंगा नाच देखती रही। असहाय जैसी स्थिति में कुछ भी नहीं कर सकी। यहां तक की बीजेपी के अपने विधायक की जान भी नहीं बचा पायी और क्रूर हत्या के बाद भी मूकदर्शक बनी रही। क्या बंगाल में राष्ट्रपति शासन के लिए 150 राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या भी बड़ा कारण नहीं हो सकता। क्या केंद्र सरकार अपने को इतनी कमजोर महसूस कर रही थी कि वह सुप्रीम कोर्ट को नहीं यह नहीं बता सकती कि बंगाल में हिंसा, भय का वातावरण लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। …और राज्य आधारित ऐसी सरकार को सत्ता में रहने का संवैधानिक अधिकार नहीं हो सकता।

उधर, पूरे चुनाव के दौरान टीएमसी के गुंडे बीजेपी समर्थित वोटरों को धमकाते रहे और चुनाव के बाद देख लेने की धमकी भी देते रहे। खुलेआम चुनाव प्रचार के दौरान ममता बनर्जी ने कहा कि सेंट्रल फोर्स के बंगाल के जाने के बाद उनकी कहर से कोई नहीं बच सकता। बंगाल का इतिहास रहा है कि यहां चुनाव में आदर्शवादिता के बल पर नहीं लड़ा जा सकता है और न हीं जीता जा सकता है। ममता बनर्जी ने भी बंगाल की राजनीति में तत्कालीन केंद्र की सरकार और नक्सलियों की सहायता से उसी हिंसा के तरीके से वाम पार्टियों को मात दी, जो हिंसा, भय और कैडर के आधार पर करीब 35 सालों से सत्ता में थे।