शादी समारोह में भाग लेने भोंडसी पहुंचे लोनी गाजियाबाद के नज़र मोहम्मद 12 दिनों से अपनी बेटी व परिवार की एक अन्य महिला सहित सुखराली क्वारंटीन सेंटर में हैं।
सात राज्यों के 36 प्रवासी क्वारंटीन में रह रहे, सभी ने वहां प्रदत खानपान व अन्य सुविधाओं को बताया बेहतर।
Report4India/ Gurugram Gazette Bureau.
गुरुग्राम। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, महाराष्ट्र, आसाम सहित सात राज्यों के 36 प्रवासी सुखराली कम्युनिटी सेंटर में बनाए गए क्वारंटीन में पिछले 12 दिनों से रह रहे हैं। बेहतर देखरेख व सुविधा से प्रसन्न इन प्रवासियों ने कहा कि कोरोना जैसी महामारी से हम एकता और अनुशासन से ही लड़ पाएंगे। एक शादी समारोह में भाग लेने के लिए गुरुग्राम में आए हुए लोनी गाजियाबाद के नज़र मोहम्मद लॉकडाउन में फंस गए। वे परिवार सहित पिछले 12 दिनों में क्वारंटीन सेंटर में रह रहे हैं। उन्होंने खासकर अपने मुसलिम समुदाय के लोगों का आह्वान किया कि वे सरकार व प्रशासन को सहयोग करें। किसी भी प्रकार से घबराएं नहीं और न ही परेशान हों। उन्होंने कहा, यह मसला हमारे समुदाय का नहीं है बल्कि देश व दुनिया का है। सभी को समझना होगा कि हम जिंदा रहेंगे तभी किसी से मिल पाएंगे।
अमरोहा के तेजपाल, मुजफ्फरनगर से शाह मोहम्मद आदि भी काम के सिलसिले में गुरुग्राम व जयपुर आए थे और लौटते समय यहां फंस गये।
मुबंई के विशाल दिल्ली व एनसीआर क्षेत्र में सोलर ऊर्जा विपणन के सिलसिले में आए हुए थे परंतु, ट्रेन व एयर सेवा बंद होने तथा लॉकडाउन की घोषणा से फंस गए। उन्होंने गुरुग्राम पुलिस को इस संबंध में सूचना दी। वे 30 मार्च से ही यहां है। विशाल नगर निगम की ओर से यहां तैनात वॉलंटियर्स के साथ मिलकर सभी को भोजन, चाय आदि वितरण कार्यों में हाथ बंटाते हैं।
सुखराली क्वारंटीन सेंटर की खाने-पीने व अन्य सभी व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी संभाल रहे विजेंद्र सिंह ने बताया कि इफ्को चौक के नजदीक होने के चलते शुरू में यहां 72 से अधिक लोग लाए गए थे, परंतु आधे लोगों को अन्य स्थानों पर शिफ्ट कर दिया गया। फिलहाल यहां उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र, आसाम व झारखंड आदि सात राज्यों के अलग-अलग जिलों के 36 लोग हैं। कुछ लोग परिवार की परिवार की महिलाओं के साथ भी हैं। सुबह में चाय के साथ दोपहर का भोजन, शाम की चाय और रात्रि का खाना दिया जाता है।
कम्युनिटी सेंटर काफी बड़ा होने के चलते यहां सोशल डिस्टेंसिंग जैसी कोई समस्या नहीं है। सभी लोग काफी सहयोगात्मक विचार वाले लोग हैं और यहां व्यवस्थाओं में हाथ बांटते हैं। सुबह में योग टीचर आते हैं जो एक नियत दूरी पर कतारबद्ध होकर योग अभ्यास कराते हैं। सभी हमेशा मॉस्क का प्रयोग करते हैं। समय-समय पर जिला अस्पताल के डॉक्टर जांच के लिए आते हैं।