प्राचीन काशी ‘विश्वेश्वर प्रकटीकरण’ पर हर्षित हिन्दू समाज, …शिवलिंग सुरक्षित-संरक्षित

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श्री काशी विश्वनाथ मंदिर।

प्राचीन काशी विश्वनाथ परिसर के सर्वे में शिवलिंग की प्राप्ति पर वाराणसी सत्र न्यायालय ने संबंधित स्थान को सुरक्षित रखने, स्थान को घेरने, यथास्थिति बनाए रखने को उप्र मुख्य सचिव, डीजी, वाराणसी डीएम-कमिश्नर व सीआरपीएफ के महानिदेशक को दिये थे आदेश। 

मस्जिद में 20 से ज्यादा लोग नमाज नहीं पढ़ सकेंगे, शिवलिंग प्राप्ति स्थान पर वजू करने से भी रोक।

मनोज कुमार तिवारी/ रिपोर्ट4इंडिया।

वाराणसी में प्राचीन काशी विश्वेश्वर मंदिर ध्वस्तिकरण व तथाकथित मस्जिद निर्माण मामले को लेकर वाराणसी कोर्ट के आदेश तथाकथित मस्जिद परिसर के सर्वें का कार्य आज तीसरे दिन पूरा हो गया। सर्वे कार्य पूरा होते ही हिन्दू पक्ष के वकीलों ने कोर्ट में याचिका दायर कर सर्वें में मिले शिवलिंग को संरक्षित व सुरक्षित रखे जाने की मांग की। इस पर तत्काल कोर्ट ने राज्य सरकार, स्थानीय प्रशासन और सीआरपीएफ के कमांडेंट को उपरोक्त स्थान को सुरक्षित व संरक्षित रखने का आदेश दिया। इसके साथ ही, कोर्ट ने 20 लोगों की संख्या को नमाज पढ़ने को सीमित करने के साथ ही तालाब में वजू करने पर भी रोक लगा दी।

बुद्ध पूर्णिमा और सोमवार के पवित्र दिवस को जैसे ही शिवलिंग के बारे में जानकारी प्राप्त हुई, काशी के शिवभक्त खुशी से झूम गये। न केवल वाराणसी बल्कि पूरे देश में हिन्दू समाज में इसकी चर्चा हो रही है। वैसे भी, तथाकथित मस्जिद की दीवारें तो स्पष्ट है ही कि वह मंदिर है

उल्लेखनीय है कि, इससे पहले 30 जुलाई 1996 को भी तथाकथित मस्जिद परिसर कोर्ट कमिश्नर स्व. राजेश्वर प्रसाद सिंह के नेतृत्व में वादी भगवान विश्वेश्वर सोमनाथ व्यास के याचिका पर सर्वें हुआ था। इस दौरान रिपोर्ट में कहा गया था कि मंदिर के भग्नावेषों पर मस्जिद का ढांचा बनाया गया है। वादी पक्ष के तत्कालीन वकील विजय शंकर रस्तोगीने बताया कि उस दौरान मंदिर परिसर परिक्रमा पथ पर रोक के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। विजय शंकर रस्तोगी ने बताया कि तत्कालीन सरकार व स्थानीय प्रशासन ने सर्वे को लेकर सहयोग नहीं किया। बल्कि अड़चनें पैदा की। न तो तथाकथित मस्जिद के नीचे बने तहखाना को खोला गया और न ही मस्जिद परिसर में घुसने दिया गया। यानी, उस दौरान सर्वे केवल बाहरी परिसर, दीवारों का ही सर्वे हो सका था।