श्रीलंका को ‘भारतीय मरहम’ : कितनी राहत!

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श्रीलंका में पानी-बिजली, ऊर्जा ( पेट्रोलियम पदार्थ), खाद्यान आदि की भारी कमी हो गई है।

दो अरब डॉलर की मदद के साथ, टनों खाद्य और पेट्रोलियम पदार्थ भेज चुका है भारत। स्थितियां जल्द सामान्य होती नहीं दिख रही।   

report4india@new Delhi.

चीन के मकड़जाल में बुरी तरह फंसे श्रीलंका की आर्थिक बदहाली चरम पर है। स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि वहां आपातकाल लगाया जा चुका है। आम लोग सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि वे देश चलाने में असफल हैं। ऐसे में उन्हें अपने पद इस्तीफा देना चाहिए।

श्रीलंका की बढ़ती आर्थिक बदहाली से पूरे देश में आपातकाल लगाया जा चुका है। हालात यह है कि लोगों को कुछ समझ में नहीं आ रहा है। घोर विपदा के इस दौर में भारत सरकार पर ही उम्मीदें हैं।

उधर, भारत के व्यवसायियों ने मदद स्वरूप श्रीलंका को 40 हजार टन चावल देने का ऐलान किया है। वर्तमान में श्रीलंका को खाद्यान के अभाव से गुजरना पड़ रहा है। लोगों को खाने के लाले पड़े हुए हैं। लाचारी और आभाव के इस दौर में शिक्षा, स्वास्थ्य-व्यवस्था से लेकर कानून व्यवस्था तक की धज्जियां उड़ चुकी है।  ऐसी स्थिति में बड़े पैमाने पर समय रहते कदम उठाने की दरकार है।

मौजूदा खबरों की मानें, तो वहां पूरे-पूरे दिन बिजली ठप है। विदेशी मुद्रा भंडार 70 फीसद तक की गिर चुकी है। महंगाई चरम पर है। पेट्रोल-डीजल के दाम तो छोड़िए, उपलब्ध ही नहीं है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की तरफ से मदद के बिना इस हालात से उबरना मुश्किल है।