Kamlesh Tiwari murder case: उत्तर प्रदेश डीजीपी की हड़बड़ी ‘दाल में कुछ काला’

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शनिवार को आनन-फानन में उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह प्रेस कांफ्रेंस कर हत्याकांड का 24 घंटे के अंदर पर्दाफाश करने का दावा किया था परंतु, राजधानी लखनऊ में रहकर भी 48 घंटे बाद भी हत्यारे पुलिस की गिरफ्त से बाहर। 

मनोज कुमार तिवारी/ अमित कुमार/ रिपोर्ट4इंडिया ब्यूरो।

New Delhi/ Lucknow. हिन्दू नेता कमलेश तिवारी की निर्हमम हत्त्याया मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस व सरकार पर लगातार सवाल खड़े किए जा रहे हैं। राजधानी लखनऊ में दिन-दहाड़े हिन्दू नेता के कार्यालय में घुसकर गला रेत कर उनकी हत्या कर हत्यारे फरार हो जाते हैं और पुलिस उन हत्यारों का 48 घंटे बाद भी सुराग नहीं लगा पाती है। उनके द्वारा लाए गए मिठाई के डिब्बे से सूरत में तीन संदिग्धों की गिरफ्तारी के बाद सूबे के पुलिस मुखिया आनन-फानन में प्रेस कांफ्रेंस कर हत्याकांड को सुलझाने का दावा ठोंक देते हैं। उसी प्रेस कांफ्रेंस में डीजीपी ओपी सिंह मीडिया के एक भी सवाल का ठीक से जवाब नहीं दे पाते हैं, सवालों की गरमी देख चट से उठकर चले जाते हैं।

रविवार को दिन में लखनऊ के एक होटल में खून लगे भगवा कपड़े, चाकू व कुछ अन्य संदिग्ध सामानों की बरामदगी होती है और संभावना जताई जाती है कि हत्यारे इसी होटल में रूके थे। यानी, जो यूपी पुलिस सूरत में मामले का पर्दाफाश करने का दावा करती है उसे अपनी पाव तले हत्यारों के रूकने के स्थान होटल में पहुंचने पर 48 घंटे का समय लग जाता है। होटल के स्टाफ के मुताबिक रूकने वाले संदिग्ध 18 अक्टूबर की शाम को ही होटल से निकले हैं। पुलिस सर्च के मुताबिक तथाकथित हत्यारों की लोकेशन लखनऊ से हरदोई, बरेली होते हुए गाजियाबाद तक मिली है। यानी, हत्यारे हत्या को अंजाम देने के बाद आराम से फरार होने में कामयाब रहे हैं।

पीड़ित परिवार की तरफ से एक बीजेपी नेता को भी हत्या में जिम्मेदार बताया है लेकिन पुलिस ने उन आरोपों से एक प्रकार से पल्ला झाड़ लिया था। हालांकि, पुलिस के लिए हत्याकांड की सारी कड़ियों को शीघ्र से शीघ्र जोड़ हत्यारों को पकड़ने की एक बड़ी चुनौती है। साथ ही, इस हत्याकांड में पुलिस की लापरवाही पर उठ रहे सवाल को भी समुचित जवाब देना है।

गौरतलब है कि ओपी सिह के खुलासे से पहले उप्र पुलिस ने इस हत्याकांड को आपसी रंजिश में होना बताया था। जबकि प्रेस कांफ्रेंस में डीजीपी ओपी सिंह ने कमलेश तिवारी के पूर्व बयान और कट्टरपंथ को जिम्मेदार बताया था।